पत्र लेखन सभी कक्षाओं के पाठ्यक्रम में आने वाला महत्वपूर्ण विषय है। इसे अच्छी तरह समझना जरुरी होता है क्योंकि पत्र लेखन का एक निश्चित फॉर्मेट होता है और परीक्षा में उसी तरह से लिखना होता है। व्यावहारिक तौर पर भी विद्यार्थी को पत्र लेखन में निपुण होना चाहिए।
1 . Personal Letter ( व्यक्तिगत या निजी पत्र )
2. Official Letters (कार्यालय सम्बन्धी पत्र )
(a)-Letters to office
-Making an inquiry
-Registering Complaints
(b)-Letters of Application
3. Business Letters ( व्यापारिक पत्र )
4. Letters to the editor (सम्पादक के नाम पत्र)
Different Parts of a Letter
( पत्र के विभिन्न भाग ):-
1. Address of the Sender - पत्र प्रेषक का पता
2. Date - तिथि
3. Address of Receiver - प्राप्तकर्ता का पता
4. Subject - विषय
5. Salutation - अभिवादन
6. Body of Letter - पत्र की विषय -वस्तु
7. Closing Words - समापन शब्द
8. Signature / Name -नाम / हस्ताक्षर
1. Address of Sender :-
यह भाग पत्र के आरम्भ में ही सबसे ऊपर बाएं कोने में लिखा जाता है। इसमें पत्र प्रेषक का नाम नहीं लिखा जाता। मकान नम्बर ,गली, मोहल्ले का नाम, गावं या शहर का नाम , राज्य का नाम आदि उचित विराम चिह्नों के प्रयोग से लिखे जाते हैं। ध्यान रहे कि यदि पूछे गए प्रश्न में प्रेषक का नाम व पता दिया गया हो तो वही लिखना है ,अन्यथा अपनी मर्जी से कोई भी काल्पनिक पता लिख सकते हैं। जैसे :-
854 -B , Block -11 , New Colony
Jaipur
2. Date :-
पते के बाद पत्र लिखने की तिथि अंकित करनी होती है। वैसे तो तिथि लिखने के कई तरीके प्रचलित हैं ,परन्तु यह स्पष्ट और सरल होनी चाहिए :-
15th May ,2020
May 15 ,2020 etc.
3. Address of Receiver :-
इसके बाद प्राप्तकर्ता का पता उचित पदनाम सहित लिखा जाता है। नाम का उल्लेख केवल अति आवश्यक होने पर ही किया जाता है। ध्यान रहे कि यदि पूछे गए प्रश्न में प्राप्तकर्ता का नाम व पता दिया गया हो तो वही लिखना है ,अन्यथा अपनी मर्जी से कोई भी काल्पनिक पता लिख सकते हैं।
4. Subject :-
व्यक्तिगत / निजी पत्र को छोड़कर अन्य पत्रों में विषय लिखना अति आवश्यक है। इससे प्राप्तकर्ता को आरंभ में ही पता चल जाता है कि पत्र किस बारे में है।
5. Salutation :-
यह भी पत्र का जरूरी भाग है। भिन्न भिन्न प्राप्तकर्ता के अनुसार ही अभिवादन के शब्दों का चयन किया जाता है।
(a)- कार्यालय सम्बन्धी व व्यापारिक पत्रों में :-
Sir / Madam ..... etc.
(b)- निजी पत्रों में :-
Dear Brother / Sister , My Dear Friend ,
Dear uncle ...... /..... etc.
*अपने छोटे भाई बहन ,या रिश्ते में अपने से छोटे को नाम से सम्बोधित करना चाहिए :-
Dear Vipin ,Dear Vasu etc.
6. Body of Letter :-
यह पत्र का सबसे महत्वपूर्ण भाग है। इसमें पत्र की विषयवस्तु सम्बन्धी आवश्यक बातें लिखी जाती हैं। इस भाग में निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना आवश्यक है:-
(a)-व्याकरण की दृष्टि से पत्र की भाषा शुद्ध होनी चाहिए और अर्थ की दृष्टि से स्पष्ट होनी चाहिए।
(b)- अनावश्यक सम्बोधन व विवरण लिखने से बचें और केवल उन्ही बातों को शामिल करें जिनके लिए पत्र लिखा जा रहा है। समस्या , सुझाव, शिकायत, प्रार्थना आदि के लिए नपे तुले शब्दों का ही प्रयोग करें।
(c)- आवश्यक होने पर पत्र को दो या तीन (इससे ज्यादा नहीं ) परिच्छेदों में लिखा जा सकता है। इससे पत्र प्रभावकारी भी बनेगा और पत्र की विषयवस्तु को समझने में भी आसानी होगी।
(d)-अशिष्ट व चेतावनी युक्त भाषा का प्रयोग कदापि नहीं करना चाहिए।
1. Address of Sender :-
यह भाग पत्र के आरम्भ में ही सबसे ऊपर बाएं कोने में लिखा जाता है। इसमें पत्र प्रेषक का नाम नहीं लिखा जाता। मकान नम्बर ,गली, मोहल्ले का नाम, गावं या शहर का नाम , राज्य का नाम आदि उचित विराम चिह्नों के प्रयोग से लिखे जाते हैं। ध्यान रहे कि यदि पूछे गए प्रश्न में प्रेषक का नाम व पता दिया गया हो तो वही लिखना है ,अन्यथा अपनी मर्जी से कोई भी काल्पनिक पता लिख सकते हैं। जैसे :-
854 -B , Block -11 , New Colony
Jaipur
2. Date :-
पते के बाद पत्र लिखने की तिथि अंकित करनी होती है। वैसे तो तिथि लिखने के कई तरीके प्रचलित हैं ,परन्तु यह स्पष्ट और सरल होनी चाहिए :-
15th May ,2020
May 15 ,2020 etc.
3. Address of Receiver :-
इसके बाद प्राप्तकर्ता का पता उचित पदनाम सहित लिखा जाता है। नाम का उल्लेख केवल अति आवश्यक होने पर ही किया जाता है। ध्यान रहे कि यदि पूछे गए प्रश्न में प्राप्तकर्ता का नाम व पता दिया गया हो तो वही लिखना है ,अन्यथा अपनी मर्जी से कोई भी काल्पनिक पता लिख सकते हैं।
4. Subject :-
व्यक्तिगत / निजी पत्र को छोड़कर अन्य पत्रों में विषय लिखना अति आवश्यक है। इससे प्राप्तकर्ता को आरंभ में ही पता चल जाता है कि पत्र किस बारे में है।
5. Salutation :-
यह भी पत्र का जरूरी भाग है। भिन्न भिन्न प्राप्तकर्ता के अनुसार ही अभिवादन के शब्दों का चयन किया जाता है।
(a)- कार्यालय सम्बन्धी व व्यापारिक पत्रों में :-
Sir / Madam ..... etc.
(b)- निजी पत्रों में :-
Dear Brother / Sister , My Dear Friend ,
Dear uncle ...... /..... etc.
*अपने छोटे भाई बहन ,या रिश्ते में अपने से छोटे को नाम से सम्बोधित करना चाहिए :-
Dear Vipin ,Dear Vasu etc.
6. Body of Letter :-
यह पत्र का सबसे महत्वपूर्ण भाग है। इसमें पत्र की विषयवस्तु सम्बन्धी आवश्यक बातें लिखी जाती हैं। इस भाग में निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना आवश्यक है:-
(a)-व्याकरण की दृष्टि से पत्र की भाषा शुद्ध होनी चाहिए और अर्थ की दृष्टि से स्पष्ट होनी चाहिए।
(b)- अनावश्यक सम्बोधन व विवरण लिखने से बचें और केवल उन्ही बातों को शामिल करें जिनके लिए पत्र लिखा जा रहा है। समस्या , सुझाव, शिकायत, प्रार्थना आदि के लिए नपे तुले शब्दों का ही प्रयोग करें।
(c)- आवश्यक होने पर पत्र को दो या तीन (इससे ज्यादा नहीं ) परिच्छेदों में लिखा जा सकता है। इससे पत्र प्रभावकारी भी बनेगा और पत्र की विषयवस्तु को समझने में भी आसानी होगी।
(d)-अशिष्ट व चेतावनी युक्त भाषा का प्रयोग कदापि नहीं करना चाहिए।
7 . Closing words :-
पत्र समापन से पूर्व अंत में पत्र के प्रकार अनुसार निम्न लिखित Closing words का प्रयोग करना चाहिए :-
Thank you , thanking you ,With regards etc.
8 . The Ending ( /Signature Name) :-
पत्र का समापन भी उचित तरीके से किया जाना जरूरी है। जैसे :-
(a ) कार्यालय सम्बन्धी व व्यापारिक पत्रों में
Yours faithfully
Yours respectfully
Yours sincerely etc.
(b) -पारिवारिक सदस्यों के लिए :-
Yours loving ........ ,
Yours affectionately etc.
(c)-मुख्याध्यापक / प्रधानाचार्य के लिए :-
Yours obediently .... etc...
--Rajender Singh, Lect. in English,
(a ) कार्यालय सम्बन्धी व व्यापारिक पत्रों में
Yours faithfully
Yours respectfully
Yours sincerely etc.
(b) -पारिवारिक सदस्यों के लिए :-
Yours loving ........ ,
Yours affectionately etc.
(c)-मुख्याध्यापक / प्रधानाचार्य के लिए :-
Yours obediently .... etc...
--Rajender Singh, Lect. in English,
GGSSS Kairu ( Bhiwani )
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