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Sunday 11 December 2022

TIGER KING : KALKI -- Hindi Summary and Textual Exercise

 

KALKI 
इस मनोरंजक और व्यंग्यात्मक कहानी के रचनाकार भारतीय लेखक कल्कि (1899 -1954 ) हैं जिनका पूरा नाम रामास्वामी कृष्णमूर्ति था। 


प्रस्तुत कहानी में ब्रिटिश राज के दौरान भारतीय राजाओं के जीवन और उनके रहन- सहन और राजकाज चलाने के तरीकों को बारे में बताया गया है। 

(1) 
यह एक काल्पनिक कहानी है जो प्रतिबंदपुरम राज्य में घटित होती है। प्रतिबंदपुरम के महाराजा को अपने नाम के साथ बहुत सारी उपाधियाँ लगाने का शौक था जैसे उनका पूरा नाम था -
'' His Highness Jamedar-General,Khiledar-Major, Sata Vyaghra Samhari, Maharajadhiraja Visva Bhuvana Samrat, Sir Jilani Jung Jung Bahadur , M.A.D., A.C.T.C., C.R.C.K .''

परन्तु उन्हें Tiger King के नाम से ही जाना जाता था। अब लेखक बड़े रोचक तरीके से बताता है कि क्यों महाराजा को इतने बड़े नाम की बजाय Tiger King नाम से जाना जाता है। 

जब महाराजा के जन्म के दसवें दिन उनका नामकरण-समारोह हुआ और उनकी जन्मकुण्डली बनाने के लिए ज्योतिषियों को बुलाया गया तो उन्होंने बताया कि यह बालक महा बलशाली और महा योद्धा बनेगा, परन्तु 
... परन्तु... एक दिन इसकी मृत्यु हो जाएगी। तभी एक चमत्कार हुआ और सबको अत्यधिक हैरानी हुई जब दस दिन के अबोध बालक यानि महाराजा ने गरज कर कहा कि यह कोई नई बात नहीं है क्योंकि जिसका जन्म होता है ,उसकी मृत्यु भी निश्चित है। उसने ज्योतिषियों से अपनी मृत्यु का कारण पूछा। तब मुख्य ज्योतिषी ने कहा कि महाराजा का जन्म वृषभ राशि में हुआ है तथा वृषभ यानि बैल का शत्रु होता है बाघ ,अतः महाराज की मृत्यु एक बाघ के द्वारा होगी। महाराजा ने इस बात पर भयभीत होने की बजाय गुर्राते हुए चुनौती दी कि सभी बाघ अब मुझसे सावधान हो जाएं. 


(2)
महाराज का पालन पोषण शाही तरीके से हुआ ।उसकी देखभाल एक अंग्रेज नर्स (आया ) द्वारा की गई। उसे अंग्रेजी गाय का दूध पिलाया जाता था और अंग्रेजी भाषा ही पढाई जाती थी। जैसे ही महाराजा की आयु बीस वर्ष की हुई तो उसे प्रतिबंदपुरम की राजगद्दी पर बैठा दिया गया। परन्तु राज्य के लोगों में ज्योतिषी द्वारा की गई भविष्यवाणी की चर्चा होती रहती थी।स्वयं महाराजा भी उस भविष्यवाणी को लेकर सावधान था। प्रतिबंदपुरम राज्य में अनगिनत वन थे और उनमें असंख्य बाघ थे। महाराजा ने एक पुरानी कहावत सुन रखी थी कि आत्म रक्षा में तो एक गाय का वध भी किया जा सकता है तो बाघ का क्यों नहीं? अन्ततः महाराजा ने बाघ का शिकार करने की सोची। जब महाराजा ने पहले बाघ का शिकार किया तो वह अत्यधिक प्रसन्न हुआ। उसने तुरंत मुख्य ज्योतिषी को बुलाया और शिकार किया हुआ बाघ दिखाकर कहा कि अब इस बारे में तुम्हारा क्या कहना है ? तुम्हारी भविष्यवाणी झूठी साबित हुई है। इस पर मुख्य ज्योतिषी ने कहा कि महाराज, आप निन्यानवें बाघों को ठीक इसी तरह मार सकते हैं परन्तु आपको सौंवे बाघ से जरूर बचना होगा। 


with courtesy 

(3)
महाराजा ने इस बात पर विचार करते हुए निर्णय लिया कि वह स्वयं सौ बाघों का शिकार करेगा। उसने राज्य में यह घोषणा करवा दी कि उसके राज्य में कोई भी व्यक्ति बाघ का शिकार नहीं करेगा। यदि किसी ने बाघ को पत्थर भी मार दिया तो उसकी सारी सम्पति जब्त कर ली जाएगी। 
उन दिनों भारतीय राजाओं और अंग्रेज अफसरों को बाघ के शिकार का बड़ा शौक था। शिकार के बाद वे मृत बाघ के साथ फोटो खिंचवाने में बड़ी शान समझते थे और उन तस्वीरों को बड़े बड़े फ्रेमों में सजाकर अपने घरों में लगवाते थे। 
परन्तु महाराजा को इसी वजह से एक बार अपना राज्य खो देने का खतरा भी पैदा हो गया। एक बार एक अंग्रेज अफसर प्रतिबंदपुरम में बाघ के शिकार के लिए आया। वह भी बाघ का शिकार करके उसके साथ एक फोटो खिंचवाना चाहता था। परन्तु महाराजा की घोषणा के अनुसार काफी अनुरोध के बाद भी उसे शिकार नहीं करने दिया गया। इस बात पर अंग्रेज अफसर के काफी नाराज होने का डर था। अंग्रेज अफसर की नाराजगी से बचने के लिए महाराजा और उसके दीवान ने काफी विचार विमर्श किया। उन्होंने कलकत्ता (अब कोलकाता) की एक प्रसिद्ध आभूषण कंपनी से कुछ हीरे की अंगूठियां मंगवाई। कंपनी द्वारा तुरंत पचास अंगूठियां भेज दी गई। महाराजा ने सारी अंगूठियां अंग्रेज अफसर की पत्नी के पास भेज दी और सोचा कि वह इनमें से दो या तीन अंगूठियां रख लेगी, परन्तु उसने महाराजा को धन्यवाद देते हुए सभी पचास अंगूठियां रख ली। महाराजा को इन सबके लिए तीन लाख रूपए खर्च करने पड़े परन्तु राज्य बचाने के यह कोई बड़ी राशि नहीं थी। 

(4)
महाराजा का शिकार अभियान सफलता पूर्वक चल रहा था। उसने दस वर्षों में कुल सत्तर बाघ मार डाले थे और प्रतिबंदपुरम के वनों में अब कोई भी बाघ नहीं बचा था। लेकिन अभी भी तीस बाघों का शिकार करना शेष था। अतः महाराजा ने ऐसे राज्य की राजकुमारी से विवाह किया जहाँ बाघों की संख्या अधिक थी। विवाह के बाद जब भी वह अपने ससुर के राज्य में जाता तो प्रत्येक बार वह पांच -छह बाघों का शिकार करता और इस तरह उसने कुल निन्यानवें बाघों का शिकार कर लिया और उनकी खालें अपने दरबार में लगवा दी । 

(5)
परन्तु अब एक नई समस्या उत्पन्न हो गई। लाख प्रयत्न करने के बाद भी महाराजा को सौंवा बाघ नहीं मिल रहा था जिसके लिए मुख्य ज्योतिषी ने भी महाराजा को चेतावनी दी थी। महाराजा की चिंता अब बढ़ चली थी।
परन्तु तभी राज्य में पहाड़ी के तरफ के एक गांव में लगातार भेड़ों के गायब होने की खबर आई तो अनुमान लगाया गया कि शायद यह किसी बाघ का काम है और तुरंत महाराजा के पास खबर भेज दी गई। महाराजा ने प्रसन्न होकर उस गांव का लगान तीन साल तक के लिए माफ़ कर दिया और अपने दल बल सहित शिकार के लिए प्रस्थान किया। लेकिन काफी दिनों के इंतज़ार के बाद भी जब वहां बाघ नहीं मिला तो महाराजा ने गुस्से में आकर उस गांव का लगान दुगना कर दिया। 
दीवान को भी महाराजा के क्रोध का शिकार होना पड़ा। उसे अब आभास हो गया था कि यदि जल्दी ही महाराजा को सौंवा बाघ नहीं मिला तो इसके परिणाम भयंकर होंगे । इस स्थिति से बचने के लिए दीवान को एक तरकीब सूझी। मद्रास (अब चेन्नई ) पीपल्स पार्क से लाया गया एक बाघ उसके घर छुपा कर रखा गया था जो अब बेहद कमजोर व बूढ़ा हो चुका था। रात के घने अंधकार में दीवान और उसकी वृद्ध पत्नी ने चुपचाप उस बाघ को अपनी गाड़ी मे डाला और उसे जंगल में छोड़ आए। अगले दिन वह बाघ स्वयं आकर उसी जगह खड़ा हो गया जहाँ महाराजा ने डेरा डाल रखा था।महाराजा की ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा और उन्होंने नजदीक से निशाना लगाकर बाघ को गोली मार दी , गोली चलते ही बाघ ज़मीन पर पर गिर पड़ा। महाराजा ने सौवें बाघ की मौत पर प्रसन्न होकर कहा कि मेरा वचन पूरा हो गया है और मैंने सौंवा बाघ मार दिया है। उसने आदेश दिया कि इस बाघ को जुलूस के रूप में राज्य में लाया जाए और स्वयं कार में सवार होकर राजधानी चला गया। 


महाराजा के जाने के बाद जब शिकारियों ने बाघ को ध्यान से देखा तो पाया कि महाराजा द्वारा चलाई गई गोली उसे नहीं लगी थी और वह केवल गोली की आवाज से ही बेहोश होकर गिर गया था। बाघ अभी जीवित था। उन्होंने चुपचाप निर्णय लिया और एक शिकारी ने उसे एक फुट की दूरी से गोली मार दी। अबकी बार निशाना बिलकुल सटीक था। सौंवा बाघ मर चुका था। 

महाराजा के आदेशानुसार मृत बाघ को धूमधाम से राजधानी में लाया गया और उसकी एक कब्र भी बनवा दी गई। महाराजा ने अब चैन की सांस ली।--


कुछ दिनों बाद राजकुमार का तीसरा जन्मदिन आया।बाघों के शिकार में व्यस्त रहने के कारण उसे अपने परिवार के लिए बहुत कम समय मिलता था। परन्तु अब महाराजा ने अपने पुत्र का जन्मदिन भव्य तरीके से मनाने की सोची। वह स्वयं प्रतिबंदपुरम के बाजार में गया और काफी दुकानों पर खोजने के बाद भी उसे राजकुमार के लिए कोई उचित उपहार नहीं मिल रहा था। आख़िरकार वह खिलौनों की दुकान पर गया और उसकी नजर लकड़ी के एक बाघ पर पड़ी। वह कुल सवा दो आने (पुराने समय में प्रचलित मुद्रा) का था परन्तु दुकानदार ने उसे तीन सौ रूपए का बताया। महाराजा ने बिना कीमत चुकाए उसे यह कहते हुए ले लिया कि यह खिलौना दुकानदार की तरफ से राजकुमार को उपहार समझा जाएगा। 
उस दिन महाराजा अपने पुत्र के साथ काफी देर तक उस लकड़ी के खिलौने से खेलता रहा। परन्तु वह खिलौना किसी अकुशल कारीगर द्वारा बनाया गया था और इसकी सतह बहुत खुरदुरी थी। उसमें से लकड़ी की छोटी छोटी खिपचें( Slivers ) काँटों की तरह निकली हुई थी। उनमे से एक खपच महाराजा के दाहिने हाथ में चुभ गई। महाराजा ने उसे निकाल दिया और अपने पुत्र के साथ खेलता रहा । 

Symbolic Image 

अगले दिन महाराजा के हाथ में संक्रमण ( Infection ) हो गया और उसमे सूजन आ गई।चौथे दिन तक उसमें मवाद भर गई और संक्रमण पूरे हाथ में फ़ैल गया। हाथ के इलाज के लिए मद्रास (अब चेन्नई ) से तीन प्रसिद्ध सर्जन बुलाए गए। उन्होंने महाराजा की हालत को देखते हुए तुरंत ऑपरेशन करने का निर्णय लिया। ऑपरेशन काफी देर तक चला। तीनों सर्जन ऑपरेशन थिएटर से बाहर आए और सूचित किया कि ------- ऑपरेशन सफल रहा, महाराजा मर चुके हैं। 

और इस प्रकार मुख्य ज्योतिषी द्वारा वर्षों पहले की गई भविष्यवाणी सच साबित हुई और आखिरकार लकड़ी से बने बाघ ने ही सौवें बाघ के रूप में महाराजा को मार कर अपना बदला ले लिया। 


Sym.Image with courtesy 

The Tiger King : Textual Exercise :-

Q1 :-Who was the Tiger King? Why does he get that name? 
Ans.--The Maharaja of Pratibandapuram has been called the Tiger King. When he was ten days old, it was predicted that he would be killed by a tiger. When he came to the throne, he took a vow to kill one hundred tiger. And he started killing tigers one after the other. Thus he came to be called the Tiger King. 

Q2 :-What miracle took place when the king was ten days old? 
Ans.- The astrologers foretold that one day, the prince would have to die. At this very moment, the royal infant who was only ten days old spoke up that all those who are born would one day have to die. It was truly a miracle to hear such intelligent words from a ten days old infant. He also asked about the manner of his death. It was really incredible. 

Q3 :-What prophesy did the astrologers announce regarding the death of the crown prince? 
Ans. --The crown prince asked about the manner of his death. The astrologers foretold that the prince was born in the hour of the bull. The tiger and the bull are the enemies forever. Therefore, he would be killed by a tiger. 

Q4 :-What did the royal infant grow up to be? 
Ans.--He was brought up by an English nanny (maid) .He drank the milk of an English cow only. He was taught English by an English tutor. He saw only English films. At the age of twenty years, he became the king of his state. 

Q5 :-Why did Maharaja of Pratibandapuram decide to kill a tiger? 
Ans.--The Maharaja had come to know about the prediction of his death that he would be killed by a tiger. So he took a vow to kill the tigers and started a tiger hunt. He did not find anything wrong in his action. 

Q6 :-What did the king do after killing the first tiger? 
Ans.--The king was very delighted after the first hunt. With a great pride, he sent for the chief astrologer. He showed him the dead tiger. He asked, “What do you say now?’’ . At this the chief astrologer replied that the king might kill ninety-nine tigers in the same manner. But he must be very careful with the hundredth tiger. 

Q7 :-What proclamation was issued by the Maharaja in his state and why?
Ans.--The state banned tiger hunting by anyone except the Maharaja. A proclamation was issued to the effect that if anyone dared to fling so much as a stone at a tiger, his entire wealth and property would be confiscated. This provision was made because the Maharaja wanted to fulfill his own vow of killing one hundred tigers himself. 

Q8 :-How did the Maharaja stand in danger of losing his kingdom? 
Ans.--Once, a high-ranking British officer visited Pratibandapuram for a tiger hunt. He loved to be photographed with the tigers he had shot. But the Maharaja firmly declined his wish of tiger hunt in his state. As a result of this refusal, he was in danger of losing his kingdom. 

Q9 :-How did the Maharaja avert the danger of his losing the kingdom? 
Ans. --The Maharaja managed to save his kingdom by pleasing the officer’s wife with the gift of fifty diamond rings. The gift cost the Maharaja three lakh rupees. 

Q10 :-Why did the Maharaja of Pratibandapuram wish to marry? 
Ans. --The Maharaja had killed seventy tigers in ten years, but now in his state the tiger population became extinct. He had yet to kill thirty more tigers. In order to solve this problem, he decided to marry a princess from a royal family of a state that had a large tiger population.

Q11:-How was the hundredth tiger found?
Ans.--The dewan knew it well that he would lose his job in case he did not find the hundredth tiger. An old and weak tiger had been brought from Madras (Chennai) People’s Park and it had been kept hidden in the dewan’s house. At midnight, the dewan loaded it in his car with a great difficulty and left it into the jungle.

Q12:-Who actually killed the hundredth tiger?
Ans.--The bullet fired by the Maharaja did not hit the tiger. The tiger had fainted from the sharp sound of the bullet. When the hunters found the tiger still alive, they decided to kill it now. They didn’t want the Maharaja to know of it. So, one of them took aim and shot the tiger dead. 

Q13:-What gift did the Maharaja get for his son on his third birthday?
Ans.--The Maharaja himself went to the market to buy a gift for his son. He found a wooden tiger at a toy shop. It was very cheap but the shopkeeper quoted three hundred rupees. But the Maharaja took away this toy for his son, without paying it.

Q14:-How did the hundredth tiger take revenge upon the Tiger King?
Or
Discuss in brief how death at last comes to the Tiger King?
Ans.--The Maharaja presented a wooden tiger to his son on his birthday. It had been carved by an unskilled carpenter. Tiny slivers of wood stood up like quills all over it. One of these slivers pierced his right hand. In four days, the infection spread all over the arm. Three famous surgeons operated him but they didn’t succeed and the Maharaja was dead.
In this manner, the hundredth tiger took its final revenge upon the Tiger King. 


RAJENDER SINGH
LECT ENGLISH
GGSSS KAIRU ( BHIWANI) 
9991046904



















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